ESSAY no.3 test

  Topic uniform civil code 

test no.4




भारत जैसे विशाल देश में संविधान की छत्र छाया में हर इंसान अपनी स्वतंत्रता और इच्छा के अनुसार जीवन जीता है ।कोई भी इंसान अपने संवैधानिक अधिकारों  का प्रयोग कर सकता है ।अपनी इच्छानुसार किसी भी धर्म का बिना शर्त के पालन कर सकता है ।




कोई कानून उसकी निजी जिंदगी मे दखल नहीं दे सकता है । भारतीय संस्कृति एक सप्त रंगीय इन्द्रधनुष के समान है।कोई  संस्कृति इस अनोखी संस्कृति  की ना तो बराबरी कर सकती है ना ही मात दे सकती है ।


शादी करना ,गोद लेना ,तलाक़ देना,भरण पोषण करना  और उतराधिकार को तय करना अलग अलग कानुनी प्रक्रियाओं‌ के अन्तर्गत ‌आता है ।




जो भाईचारे और आपसी प्रेम के लिए विषम परिस्थितियां पैदा कर देते हैं ।एक देश में सभी नागरिक  अपने व्यक्तिगत हितों को पुरा करने के लिए अलग अलग   कानुनों के साये में अपना जीवन नही जी सकते हैं।


इसलिए भारत जैसे विशाल प्रजातांत्रिक देश में समान आचार संहिता लागू करना एक अपरिहार्य और अत्यंत जरूरी शर्त हो । यह नया कानून  नये भारत का आगाज करेगा और एक मजबुत राष्ट्र का निर्माण करेगा ।


मानवीय उच्चतम न्यायालय मे‌ इस महत्त्वपूर्ण मामले में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाने की कोशिश की है ।इस सन्दर्भ में मोहम्मद अहमद खान बनाम शाहबानो बेगम ने मानवीय  उच्चतम न्यायालय ने अति महत्वपूर्ण निर्णय सुनाया था ।   अनु 44 के तहत समान नागरीक संहिता को पुरे देश में लागू करना चाहिए ।

यह कानून ना तो मुल अधिकारों का हनन करता है ना धार्मिक भावनाओं पर आघात करता है ।इस लिए यह महत्वपूर्ण मुद्दा संघर्ष और विरोध का विषय नहीं है 





इस कानुन का प्रमुख उद्देश्य गरीबों के मध्य भेदभाव मिटाना और संस्कृति के तहत लोगों में  सामंजस्य स्थापित करना है । उच्चतम न्यायालय ने  यही द्रष्टि कोण सरला मुदगल बनाम भारत सरकार  में अपनाया  था । मानवीय उच्चतम न्यायालय  के अनुसार  यह क्रांतिकारी कानुन समाज के सामाजिक ढांचे को मजबूत करता है । इसलिए बिना देरी और बिना शर्त के इस कानुन को  पुरे देश पर आच्छादित कर देना चाहिए ।


यदि यह  महत्वपूर्ण कानुन लागु होगा तो ,पुरे देश‌ में एक खुशनुमा माहौल‌ बनेगा जो देश‌ की प्रगति के लिए  मील‌ का पत्थर साबित होगा ।यह कानून ना तो किसी धर्म का आहत करेगा और ना ही किसी की भावनाओं के साथ खिलवाड़ करेगा ।यह एक मिथ्या धारणा ‌है कि यह कानुन‌‌ मुस्लिम समुदाय में वैमनस्य और डर‌ पैदा करेगा ।यह कानुन सभी समुदायों को एक धागे मे माला की तरह पिरो देगा ।यह खुशबूदार माला भारत के भाईचारे में  अपनी महक को‌ फैलायेंगी ।


यह कानुनों महिलाओं के लिए एक एक  ध्रुव तारे के समान है जो उनके जीवन के अंधकार को दुर कर देगा । महिलाओं को ना तो अन्याय का सामना करना पड़ेगा और ना ही अत्याचार का ।वे स्वतंत्रता के नीले आसमान मे  अपने उज्जवल भविष्य के लिए एक नयी उड़ान भरेगी ।



यह कानून  के कारण एक नये सुरज का आगाज होगा जो हमारे देश के सारे अंधेरे को पल भर‌ में निगल जायेगा । इसलिए  समान नागरिक संहिता को  बिना किसी बांधा के तुंरत लागू कर देनिक चाहिए ।जब यह कानुन लागु हो जायेगा तो  हमारा देश एक आईना बन जायेगा ।सारी  दुनिया इस आईने को देखने के लिए तरसेगी


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