Hindi contract act 6 to 9

   धारा 6 से 9 अनुबंध अधिनियम 

धारा 6. निरस्तीकरण कैसे किया जाता है ------एक प्रस्ताव निरस्त किया जाता है 

1.प्रस्तावक द्वारा दूसरे पक्ष को निरस्तीकरण की सूचना प्रेषित करने से 


2.ऐसे प्रस्ताव में स्वीकृति के लिए निर्धारित समय बीत जाने पर 

अथवा यदि कोई समय निर्धारित नहीं है 

स्वीकृति की सूचना दिए बिना उचित समय बीत जाने पर 


स्पष्टीकरण ----विभिन्न लेन-देन के लिए उचित समय अलग-अलग हो सकता है। सोने और चांदी के अनुबंध में बहुत कम समय की आवश्यकता होती है। लेकिन भूमि के अनुबंध में यह संभव है कि इसमें लंबा समय लगे 



3.स्वीकृतिकर्ता द्वारा स्वीकृति से पहले की शर्त को पूरा करने में विफलता या


उदाहरण - नमक की एक झील पट्टे पर दी जानी है। लेकिन स्वीकर्ता को कुछ धनराशि अग्रिम जमा करानी होगी। स्वीकर्ता ने तीन साल तक ऐसा नहीं किया। आवंटन रद्द कर दिया गया क्योंकि स्वीकर्ता द्वारा शर्तें पूरी नहीं की गई थीं। 




4. प्रस्तावक की मृत्यु या पागलपन से, यदि उसकी मृत्यु या पागलपन का तथ्य स्वीकृति से पहले स्वीकारकर्ता को ज्ञात हो जाए। 


एन----एलसीडी 


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धारा 7. स्वीकृति पूर्ण होनी चाहिए ------ किसी प्रस्ताव को वादे में बदलने के लिए स्वीकृति

 अवश्य -----

1.पूर्ण एवं बिना किसी शर्त के 


2.किसी सामान्य और उचित तरीके से व्यक्त किया जाना चाहिए 

जब तक कि प्रस्ताव में यह निर्धारित न किया गया हो कि उसे किस प्रकार स्वीकार किया जाएगा।

यदि प्रस्ताव में उसे स्वीकार करने का तरीका निर्धारित किया गया हो 

और स्वीकृति इस तरह से नहीं की जाती है 

प्रस्तावक स्वीकृति की सूचना मिलने के पश्चात उचित समय के भीतर आग्रह कर सकता है कि उसका प्रस्ताव निर्धारित तरीके से स्वीकार किया जाएगा, अन्यथा नहीं, किन्तु यदि वह ऐसा करने में असफल रहता है, तो वह उस प्रस्ताव को स्वीकार करने से इंकार कर सकता है। 

वह स्वीकृति स्वीकार करता है

 

उदाहरण 

बी ने ए को प्रस्ताव दिया कि मैं अपना मकान 50,000 रुपये में बेचना चाहता हूं। यदि आप इस मकान को खरीदने की इच्छा रखते हैं, तो आप एच को पत्र लिखने के बजाय उसके पते पर अपनी स्वीकृति भेज देंगे। ए ने अपने एजेंट को व्यक्तिगत रूप से एच के पास 50,000 रुपये के साथ भेजा। बी का तर्क है कि स्वीकृति निर्धारित तरीके के अनुसार नहीं थी। इसलिए पक्षों के बीच कोई वैध अनुबंध नहीं हुआ।



प्रकरण क्रमांक 2----इस मामले में वादी ने स्वीकृति के समय कुछ शर्तें लगाई थीं कि मुम्बई बंदरगाह से परिवहन निःशुल्क होगा तथा कोई ब्याज नहीं लिया जाएगा। प्रत्यर्थी ने इसे स्वीकार करने से इंकार कर दिया था। इसके बाद वादी ने मूल प्रस्ताव स्वीकार कर लिया था। वादी ने वाद दायर किया था।


स्पष्टीकरण ----- प्रस्ताव पूर्ण और बिना शर्त होना चाहिए। तब कोई कानूनी दायित्व नहीं उठाया जाएगा। वादी की स्वीकृति प्रति प्रस्ताव थी, स्वीकृति नहीं। प्रति प्रस्ताव के कारण मूल प्रस्ताव रद्द कर दिया गया है।



3.हाइड बनाम रांची

प्रतिवादी अपनी जमीन 1000 पॉन्ड पर बेचना चाहता था। स्वीकारकर्ता उसकी जमीन 950 पॉन्ड पर उसके स्वीकृति पत्र के माध्यम से खरीदना चाहता था। प्रस्तावक ने इस स्वीकृति को अस्वीकार कर दिया। उसके बाद वादी ने उस जमीन को 1000 पॉन्ड पर खरीदने पर सहमति व्यक्त की थी। यह निर्णय लिया गया कि कोई अनुबंध नहीं किया गया था। क्योंकि मूल अनुबंध को काउंटर ऑफर के कारण रद्द कर दिया गया था।



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धारा 8 ----शर्त निष्पादित करके या प्रतिफल प्राप्त करके स्वीकृति ----

प्रस्ताव की शर्त का निष्पादन 

या किसी पारस्परिक वादे के लिए किसी भी विचार की स्वीकृति 

जिसे प्रस्ताव के साथ प्रस्तुत किया जा सकता है 

क्या यह प्रस्ताव स्वीकृत है? 


ऐतिहासिक मामले 

Hindustan cooperative society versus shayam sunder 

इस मामले में आधी कार्यवाही पूरी हो चुकी थी। बीमा कंपनी ने प्रस्तावक को सूचित किया था कि आप छह महीने की किस्त के साथ प्रस्ताव भेजें। उसने ऐसा ही किया। बीमा कंपनी ने इन चेकों को भुना लिया था, लेकिन वह उसे सूचित करना भूल गई थी। इन चेकों को भुनाना उसकी स्वीकृति का प्रतीक है।


2.इस मामले में प्रस्तावक ने सम्पर्क किया था कि यदि इस भूमि का नक्शा पास हो गया होता तो वह इस भूमि को खरीदकर लीज पर ले लेता। यदि स्वीकृतिकर्ता ने यह कार्य किया होता तो बिना सूचना के स्वतः स्वीकृति हो गई होती।






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धारा 9 ----वचन, अभिव्यक्त तथा विवक्षित ----जहां तक ​​किसी वचन का प्रस्ताव या स्वीकृति अभिव्यक्त कही जाती है। जहां तक ​​ऐसा प्रस्ताव या स्वीकृति शब्दों से भिन्न रूप में की जाती है वहां वचन विवक्षित कहा जाता है।


अप्टन ग्रामीण जिला परिषद बनाम पावेल 

प्रतिवादी के खेत में आग लग गई थी। उसे विश्वास था कि उसे बिना पैसे के अग्निशमन विभाग की सेवाओं पर अधिकार था। आग बुझाने के बाद उसे एहसास हुआ कि सेवाएं मुफ्त नहीं थीं। इस प्रकार इस स्थिति में बिना किसी स्पष्ट अनुबंध के दो पक्षों के बीच निहित अनुबंध किया गया था।



केस नं.2

इस मामले में एक बंदरगाह न्यायाधिकरण ने एक जहाज कंपनी को कुछ सुविधाएं देने का वादा किया था। जहाज कंपनी इन सुविधाओं के तहत अपने जहाजों को ले जाना चाहती थी। लेकिन कुछ समय बाद बंदरगाह न्यायाधिकरण ने ये सुविधाएं देने से इनकार कर दिया था। जहाज कंपनी ने इन सुविधाओं को पाने के लिए मुकदमा दायर किया था।


निर्णय-----अदालत ने पाया कि जहाज कंपनी और बंदरगाह न्यायाधिकरण के बीच निहित अनुबंध किया गया था। इसलिए बंदरगाह न्यायाधिकरण ये सुविधाएं देने के लिए बाध्य था।


उदाहरण संख्या 3


इस मामले में कुछ माल सरकार को दिया जाना था, लेकिन यह स्पष्ट नहीं किया गया था कि ये माल किस तारीख को दिया जाना था। ऐसा कोई निहित अनुबंध नहीं था कि माल महीने की पहली तारीख को दिया जाना था। 







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