Hindi contract act
धारा 26,27 और 28
धारा 26.
विवाह पर रोक लगाने का समझौता ----
किसी भी व्यक्ति के विवाह पर प्रतिबन्ध लगाने वाला प्रत्येक समझौता
नाबालिग के अलावा अन्य कोई भी मामला शून्य है।
ऐतिहासिक निर्णय.
राय रानी बनाम गुलाब रानी
एक मृत व्यक्ति की दो विधवाओं ने एक समझौता किया था कि यदि उनमें से कोई भी पुनर्विवाह करती है तो वह अपनी संपत्ति का अधिकार खो देगी।
निर्णय ----इस मामले में यह माना गया कि यह अनुबंध शून्य नहीं था। यह अनुबंध विवाह पर रोक नहीं लगाता है।
धारा 27----
प्रत्येक समझौता जिसके द्वारा किसी व्यक्ति को किसी भी प्रकार का वैध पेशा, व्यापार या कारोबार करने से रोका जाता है, उस सीमा तक शून्य है।
अपवाद 1----जिस कारोबार की गुडविल बेची गई है उसे न चलाने के करार की व्यावृत्ति---
जो व्यक्ति किसी व्यवसाय की गुडविल बेचता है, वह क्रेता के साथ निर्दिष्ट स्थानीय सीमाओं के भीतर समान व्यवसाय करने से परहेज करने के लिए सहमत हो सकता है, जब तक कि क्रेता या उससे गुडविल का हक प्राप्त करने वाला कोई व्यक्ति वहां समान व्यवसाय करता है, बशर्ते कि ऐसी सीमाएं व्यवसाय की प्रकृति को ध्यान में रखते हुए न्यायालय को उचित प्रतीत हों।
ऐतिहासिक मामले ---
माधव चंद्र बनाम राजकुमार
तथ्य---वादी और प्रतिवादी एक ही इलाके में दुकानें चलाते थे। यहां प्रतिवादी ने वादी के साथ एक अनुबंध किया था कि वह वादी को पैसे देगा यदि वह अपनी दुकान किसी अन्य स्थान पर स्थापित करेगा। वादी ने ऐसा ही किया। जब प्रतिवादी ने पैसे नहीं दिए तो मामला दर्ज किया गया।
निर्णय ---- यह समझौता अमान्य था। क्योंकि व्यापार को अनुबंध द्वारा प्रतिबंधित नहीं किया जा सकता ********************
ऐतिहासिक मामला संख्या 2
नॉर्डनफेल्ट बनाम नॉर्डन फेल्ट गन्स एंड एम्युनिशन कंपनी लिमिटेड।
तथ्य ---बंदूक और डायनामाइट के आविष्कारक ने अपने व्यवसाय की साख खरीदार को बेच दी थी। उसने खरीदार के साथ दो प्रतिबंधों का अनुबंध किया था।
1. वह 25 साल तक ऐसा व्यवसाय नहीं करेगा
2. वह सर्विस के लिए दूसरी कंपनी में गया था
वादी ने उसे रोकने के लिए मुकदमा दायर किया था।
पहला भाग वैध है लेकिन दूसरा भाग अमान्य है, क्योंकि ऐसे प्रतिबंध सार्वजनिक नीति के विरुद्ध हैं।
ऐतिहासिक मामला संख्या 3
वैंकुवर माल्ट और साके बियरिंग कंपनी लिमिटेड बनाम बैंकूवर बियरीज लिमिटेड।
एक कंपनी को बीयर और शराब का लाइसेंस मिला था। लेकिन कंपनी केवल शराब बनाती थी, जो जापानी शराब थी। माल सरकार द्वारा खरीदा गया था। इस कंपनी ने शराब की एक अन्य कंपनी के साथ अनुबंध किया था। पूर्व कंपनी ने शराब और बीयर की अपनी साख बेच दी थी। दूसरी कंपनी द्वारा मामला दर्ज किया गया था।
निर्णय ---पहली कंपनी शराब नहीं बनाती थी, इसलिए उस कंपनी को यह गुडविल बेचने का कोई अधिकार नहीं था, इस तरह यह अनुबंध आधारहीन और बेकार था।
ऐतिहासिक मामला संख्या 4
सेख कालू बनाम रामशरण भगत
एक कंघी विक्रेता ने पटना के सभी कंघी निर्माताओं के साथ एक अनुबंध किया था। वे जीवन भर उसे माल बेचेंगे और उसकी मृत्यु के बाद उसके उत्तराधिकारी को माल बेचेंगे। यह निर्णय लिया गया कि अनुबंध धारा 27 के तहत शून्य था।
अपवाद
1.11(2)----साझेदार यह समझौता कर सकते हैं कि वे साझेदारी जारी रहने के दौरान कोई कारोबार नहीं कर सकते।
2. 36(2)--कोई भी भागीदार किसी अन्य भागीदार के साथ अनुबंध कर सकता है कि वह ऐसी सीमाओं और निर्दिष्ट अवधि के दौरान व्यवसाय नहीं करेगा
3.धारा 54 ---विघटन की स्थिति में यह अनुबंध किया जा सकता है कि कुछ साझेदार या सभी साझेदार स्थानीय सीमाओं में व्यवसाय नहीं कर सकते हैं और
धारा 28
कानूनी कार्यवाही पर रोक लगाने वाला समझौता, शून्य ----(प्रत्येक समझौता,
क. जिसके द्वारा किसी भी पक्षकार को सामान्य न्यायाधिकरणों में सामान्य कानूनी कार्यवाही द्वारा किसी भी अनुबंध के तहत या उसके संबंध में अपने अधिकार को लागू करने से पूरी तरह से प्रतिबंधित किया जाता है या जो उस समय को सीमित करता है जिसके भीतर वह इस प्रकार अपने अधिकार को लागू कर सकता है या
B. जो किसी पक्षकार के अधिकार को समाप्त कर देता है या किसी पक्षकार को किसी संविदा के अधीन या उसके संबंध में किसी दायित्व से विमुक्त कर देता है, किसी निर्दिष्ट अवधि की समाप्ति पर, जिससे किसी पक्षकार को अपने अधिकार को लागू करने से प्रतिबंधित किया जा सके, उस सीमा तक शून्य है।
अपवाद 1-----उठने वाले विवाद को मध्यस्थता के लिए निर्दिष्ट करने की संविदा की व्यावृत्ति----यह धारा किसी संविदा को अवैध नहीं बनाएगी, जिसके द्वारा दो या अधिक व्यक्ति इस बात पर सहमत होते हैं कि किसी विषय या विषयों के वर्ग के संबंध में उनके बीच उत्पन्न होने वाले किसी विवाद को मध्यस्थता के लिए निर्दिष्ट किया जाएगा और केवल ऐसी मध्यस्थता में दी गई रकम ही इस प्रकार निर्दिष्ट विवाद के संबंध में वसूली योग्य होगी।
अपवाद 2 ---- पहले से उठे प्रश्नों को या तत्समय प्रवृत्त किसी कानून के किसी प्रावधान को प्रभावित करने वाले प्रश्नों को मध्यस्थता के लिए संदर्भित करने की संविदा की व्यावृत्ति।
ऐतिहासिक फैसला
के.कोरिंगा तेल कंपनी बनाम कोयाग्लर
यह धारा ऐसे समझौते पर लागू होती है जिसमें पक्षकारों को न्यायालय और न्यायिक कार्यवाही का आश्रय लेने से रोका जाता है।
यदि यह शर्त लागू होती है कि अनुबंध के उल्लंघन के लिए कोई मुकदमा दायर नहीं किया जा सकता है, तो यह शर्त शून्य है। दोनों पक्षों को अपने अधिकार को लागू करने से रोका जाता है।
लेकिन इस धारा से अपील के अधिकार को रोका नहीं जा सकता।
धारा 26,27 और 28
धारा 26.
विवाह पर रोक लगाने का समझौता ----
किसी भी व्यक्ति के विवाह पर प्रतिबन्ध लगाने वाला प्रत्येक समझौता
नाबालिग के अलावा अन्य कोई भी मामला शून्य है।
ऐतिहासिक निर्णय.
राय रानी बनाम गुलाब रानी
एक मृत व्यक्ति की दो विधवाओं ने एक समझौता किया था कि यदि उनमें से कोई भी पुनर्विवाह करती है तो वह अपनी संपत्ति का अधिकार खो देगी।
निर्णय ----इस मामले में यह माना गया कि यह अनुबंध शून्य नहीं था। यह अनुबंध विवाह पर रोक नहीं लगाता है।
धारा 27----
प्रत्येक समझौता जिसके द्वारा किसी व्यक्ति को किसी भी प्रकार का वैध पेशा, व्यापार या कारोबार करने से रोका जाता है, उस सीमा तक शून्य है।
अपवाद 1----जिस कारोबार की गुडविल बेची गई है उसे न चलाने के करार की व्यावृत्ति---
जो व्यक्ति किसी व्यवसाय की गुडविल बेचता है, वह क्रेता के साथ निर्दिष्ट स्थानीय सीमाओं के भीतर समान व्यवसाय करने से परहेज करने के लिए सहमत हो सकता है, जब तक कि क्रेता या उससे गुडविल का हक प्राप्त करने वाला कोई व्यक्ति वहां समान व्यवसाय करता है, बशर्ते कि ऐसी सीमाएं व्यवसाय की प्रकृति को ध्यान में रखते हुए न्यायालय को उचित प्रतीत हों।
ऐतिहासिक मामले ---
माधव चंद्र बनाम राजकुमार
तथ्य---वादी और प्रतिवादी एक ही इलाके में दुकानें चलाते थे। यहां प्रतिवादी ने वादी के साथ एक अनुबंध किया था कि वह वादी को पैसे देगा यदि वह अपनी दुकान किसी अन्य स्थान पर स्थापित करेगा। वादी ने ऐसा ही किया। जब प्रतिवादी ने पैसे नहीं दिए तो मामला दर्ज किया गया।
निर्णय ---- यह समझौता अमान्य था। क्योंकि व्यापार को अनुबंध द्वारा प्रतिबंधित नहीं किया जा सकता ********************
ऐतिहासिक मामला संख्या 2
नॉर्डनफेल्ट बनाम नॉर्डन फेल्ट गन्स एंड एम्युनिशन कंपनी लिमिटेड।
तथ्य ---बंदूक और डायनामाइट के आविष्कारक ने अपने व्यवसाय की साख खरीदार को बेच दी थी। उसने खरीदार के साथ दो प्रतिबंधों का अनुबंध किया था।
1. वह 25 साल तक ऐसा व्यवसाय नहीं करेगा
2. वह सर्विस के लिए दूसरी कंपनी में गया था
वादी ने उसे रोकने के लिए मुकदमा दायर किया था।
पहला भाग वैध है लेकिन दूसरा भाग अमान्य है, क्योंकि ऐसे प्रतिबंध सार्वजनिक नीति के विरुद्ध हैं।
ऐतिहासिक मामला संख्या 3
वैंकुवर माल्ट और साके बियरिंग कंपनी लिमिटेड बनाम बैंकूवर बियरीज लिमिटेड।
एक कंपनी को बीयर और शराब का लाइसेंस मिला था। लेकिन कंपनी केवल शराब बनाती थी, जो जापानी शराब थी। माल सरकार द्वारा खरीदा गया था। इस कंपनी ने शराब की एक अन्य कंपनी के साथ अनुबंध किया था। पूर्व कंपनी ने शराब और बीयर की अपनी साख बेच दी थी। दूसरी कंपनी द्वारा मामला दर्ज किया गया था।
निर्णय ---पहली कंपनी शराब नहीं बनाती थी, इसलिए उस कंपनी को यह गुडविल बेचने का कोई अधिकार नहीं था, इस तरह यह अनुबंध आधारहीन और बेकार था।
ऐतिहासिक मामला संख्या 4
सेख कालू बनाम रामशरण भगत
एक कंघी विक्रेता ने पटना के सभी कंघी निर्माताओं के साथ एक अनुबंध किया था। वे जीवन भर उसे माल बेचेंगे और उसकी मृत्यु के बाद उसके उत्तराधिकारी को माल बेचेंगे। यह निर्णय लिया गया कि अनुबंध धारा 27 के तहत शून्य था।
अपवाद
1.11(2)----साझेदार यह समझौता कर सकते हैं कि वे साझेदारी जारी रहने के दौरान कोई कारोबार नहीं कर सकते।
2. 36(2)--कोई भी भागीदार किसी अन्य भागीदार के साथ अनुबंध कर सकता है कि वह ऐसी सीमाओं और निर्दिष्ट अवधि के दौरान व्यवसाय नहीं करेगा
3.धारा 54 ---विघटन की स्थिति में यह अनुबंध किया जा सकता है कि कुछ साझेदार या सभी साझेदार स्थानीय सीमाओं में व्यवसाय नहीं कर सकते हैं और
धारा 28
कानूनी कार्यवाही पर रोक लगाने वाला समझौता, शून्य ----(प्रत्येक समझौता,
क. जिसके द्वारा किसी भी पक्षकार को सामान्य न्यायाधिकरणों में सामान्य कानूनी कार्यवाही द्वारा किसी भी अनुबंध के तहत या उसके संबंध में अपने अधिकार को लागू करने से पूरी तरह से प्रतिबंधित किया जाता है या जो उस समय को सीमित करता है जिसके भीतर वह इस प्रकार अपने अधिकार को लागू कर सकता है या
B. जो किसी पक्षकार के अधिकार को समाप्त कर देता है या किसी पक्षकार को किसी संविदा के अधीन या उसके संबंध में किसी दायित्व से विमुक्त कर देता है, किसी निर्दिष्ट अवधि की समाप्ति पर, जिससे किसी पक्षकार को अपने अधिकार को लागू करने से प्रतिबंधित किया जा सके, उस सीमा तक शून्य है।
अपवाद 1-----उठने वाले विवाद को मध्यस्थता के लिए निर्दिष्ट करने की संविदा की व्यावृत्ति----यह धारा किसी संविदा को अवैध नहीं बनाएगी, जिसके द्वारा दो या अधिक व्यक्ति इस बात पर सहमत होते हैं कि किसी विषय या विषयों के वर्ग के संबंध में उनके बीच उत्पन्न होने वाले किसी विवाद को मध्यस्थता के लिए निर्दिष्ट किया जाएगा और केवल ऐसी मध्यस्थता में दी गई रकम ही इस प्रकार निर्दिष्ट विवाद के संबंध में वसूली योग्य होगी।
अपवाद 2 ---- पहले से उठे प्रश्नों को या तत्समय प्रवृत्त किसी कानून के किसी प्रावधान को प्रभावित करने वाले प्रश्नों को मध्यस्थता के लिए संदर्भित करने की संविदा की व्यावृत्ति।
ऐतिहासिक फैसला
के.कोरिंगा तेल कंपनी बनाम कोयाग्लर
यह धारा ऐसे समझौते पर लागू होती है जिसमें पक्षकारों को न्यायालय और न्यायिक कार्यवाही का आश्रय लेने से रोका जाता है।
यदि यह शर्त लागू होती है कि अनुबंध के उल्लंघन के लिए कोई मुकदमा दायर नहीं किया जा सकता है, तो यह शर्त शून्य है। दोनों पक्षों को अपने अधिकार को लागू करने से रोका जाता है।
लेकिन इस धारा से अपील के अधिकार को रोका नहीं जा सकता।
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