Homosexuality
Homosexuality
Part 2
इतिहास में बहुत सारे उदाहरण ऐसे हैं जहां समलैंगिकता को अपराध माना गया है ।एक वैश्विक शोध के अनुसार 28% महिलाएं और 50% पुरुष कभी ना कभी अपने जीवन में समलैंगिकता की और आकर्षित होते हैं ।जो समलैंगिकता को जीवन की ढाल बनाते हैं उनके अनुसार किसी से प्रेम करना उनका जन्मजात , नैसर्गिक और मुलभुत अधिकार है ।
There are too many examples where homosexuality has been assumed an offence . according to a global research 28%. Women and 50 men attract towards homosexuality one or another day .those people makes homosexuality as shield of their life . according to them to love with anybody is their inborn ,natural and fundamental right.
वे अपने तर्क को वैज्ञानिक आधार देना चाहते हैं कुछ रुढ़िवादी लोग समलैंगिकता को शर्म और झिझक के दायरे में रखना चाहते हैं । भारतीय समाज रूढ़ीवादीता की जंजीरों मे जकड़ा हुआ है।इस विचित्र विचारधारा को दकियानूसी लोग कटघरे में खड़ा कर देते हैं । समलैंगिक संबंध प्रकृति की देन है इसको तिरस्कार की द्रष्टि से परखना गलत होगा ।
They want to give scientific base to the Orthodox people .some orthodox people want to put homosexuality in ambit of shame and hesitation .the Indian society has shackled in chains of orthodoxy .the parochial people put this bizarre goal post into dock.homosexual relation is gift of nature .to assay of this mentality by humiliation view is wrong.
सुचंद्रा दास और श्री मुखर्जी के लिए समलैंगिक रिश्तों की राह कांटों से भरी थी । भारतीय संकीर्ण पंरपरा इंटर-कास्ट मैरीज और इंटर रिलीजन मैरीज को हेय द्रष्टि से देखता है ब्रिटिश काल में इस अपराध को एक धिनौनी मानसिकता मानकर धारा 377 एक दंडनीय अपराध बना दिया गया है ।यह कानून बगरी एक्ट से पुर्ण रूप से प्रभावित था । समलैंगिकता को भारतीय परिवारों को हमेशा नकारात्मक माना गया था।इसके पीछे कोई तार्किक और वैज्ञानिक आधार .नहीं था ।
The path of homosexual relation had been filled with thorns suchandra Das and Shri mukherjee.the blinkered Indian mentality looks down upon intercaste and inter religion marriage .having assumed this offence as
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